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Copilot Mode इंटरनेट सर्च को पहले से ज्यादा स्मार्ट

 Copilot Mode इंटरनेट सर्च को पहले से ज्यादा स्मार्ट बनाता है और कम क्लिक में बेहतर जानकारी तक पहुंचने में सहायता करता है। यदि अनुमति दी जाए तो यह फीचर यूज़र की सभी ओपन टैब्स और ब्राउज़िंग हिस्ट्री को भी एक्सेस कर सकता है, जिससे कार्यक्षमता बढ़ती है। अब यूज़र्स ग्रॉसरी लिस्ट बनाना, अपॉइंटमेंट शेड्यूल करना और कंटेंट लिखना जैसे काम Copilot की मदद से आसानी से कर सकते हैं, वह भी बिना वेबसाइट्स स्विच किए। उदाहरण के लिए, अगर कोई फ्लाइट बुक करना चाहता है, तो Copilot से पूछकर तुरंत यह पता लगाया जा सकता है कि कौन सी वेबसाइट उस तारीख को सबसे सस्ते टिकट दे रही है। यह नया फीचर यूज़र्स की प्रोडक्टिविटी को बेहतर बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

कश्मीर से बड़ी संख्या में छात्र ईरान में पढ़ाई क्यों करते हैं?

 हमें घर पहुंचना है, लेकिन इस बस से... ईरान से लौटे कश्मीरी छात्र हुए नाराज,  सीएम उमर अब्दुल्ला ने दिया ये जवाब | students returned from Iran become  angry Read the story


ईरान-इज़राइल संघर्ष के बीच, भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकाला। इससे एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है — आख़िर क्यों इतने भारतीय छात्र, खासकर कश्मीरी, मेडिकल पढ़ाई के लिए विदेश, और विशेष रूप से ईरान जाते हैं?

विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, 2022 में लगभग 2,050 भारतीय छात्र ईरान में पढ़ रहे थे, जिनमें से ज़्यादातर मेडिकल कॉलेजों में दाखिल थे, जैसे तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़शहीद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी, और इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी। इन छात्रों में कश्मीरी छात्रों की संख्या विशेष रूप से अधिक है।

यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी अंतरराष्ट्रीय संकट ने विदेश में भारतीय मेडिकल छात्रों की बड़ी संख्या को उजागर किया है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत ने 'ऑपरेशन गंगा' के तहत हज़ारों छात्रों को निकाला था।

ईरान कश्मीरी छात्रों के लिए इसलिए भी आकर्षक है क्योंकि वहाँ पढ़ाई की फीस कम होती हैभाषा और संस्कृति से कुछ हद तक समानता है, और शिया मुसलमानों के लिए धार्मिक जुड़ाव की भावना भी महत्वपूर्ण कारण बनती है।

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